मुहब्बत में जो खता होती है उसकी खुशबू ही जुदा होती है इश्क उस से ही किया जाता है जिस से उम्मीदे वफ़ा होती है मौत से जिस्म ही नहीं मरता दिल से धड़कन भी जुदा होती है सब्र करने से पता चलता है दर्दे दिल की भी दवा होती है उसकी कुदरत में एक शय है जो मेरी चाहत पे फ़ना होती है मौत ही है कि जो नहीं आती जिन्दगी रोज़ खफा होती है
क.. देवेन्द्र